प्राचीन भारत के 16 महाजनपद(16 Mahajanapadas of Ancient India):-
इस लेख में आप प्राचीन भारत के महाजनपदों के बारे में पड़ेंगे। इन्हीं महाजनपदों से आज का भारत बना है। इन महाजनपदों की पुख्ता जानकारी हमें बौद्ध ग्रंथों से प्राप्त होती है।
महाजनपदों का उदय 600 - 340 ईसा पूर्व के बीच में हुआ। प्राचीन भारत के महाजनपदों को राज्य या प्रशासनिक इकाई कहते थे। उत्तर वैदिक काल में बने जनपद ईसा पूर्व छठी शताब्दी में महाजनपदों में तब्दील हो गए। यह सभी महाजनपद आधुनिक युग में उत्तरी अफगानिस्तान से बिहार तक तथा हिंदुकुश से गोदावरी तक तक फैले हुए हैं। इन महाजनपदों की जानकारी हमें बौद्ध ग्रंथों से मिलती है। आरंभिक बौद्ध ग्रंथों से इनके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त होती है इन ग्रंथों में 16 महाजनपदों का उल्लेख है:-
1. कम्बोज - आज के अफगानिस्तान में स्थिति कम्बोज ईसा पूर्व छठी शताब्दी मे गांधार का पड़ोसी राज्य था। इसकी राजधानी हाटक या राजापुर थी। कौटिल्य ने कंबोज को वार्ताशस्त्रोंजीवी(खेती तथा शास्त्रों के द्वारा जीविका चलाने वाला) संघ कहा है। उस काल में कंबोज अपने घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।
2. गांधार - यह राज्य काबुल घाटी में स्थित था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। इस राज्य का दूसरा प्रमुख नगर पुष्कलावती था। इसी राज्य में विश्व का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला स्थित था। जहाँ दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते थे।
3. कुरु - यह आधुनिक दिल्ली, हरियाणा तथा मेरठ क्षेत्र पर फैला हुआ था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ(दिल्ली) थी। गौतम बुद्ध के काल में यहां का शासक कोरव्य था। हस्तिनापुर नगरी इसी राज्य में स्थित थी। यहां के लोग बल बुद्धि के लिए बहुत लोकप्रिय थे।
4. पांचाल - यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित था तथा दो भागों में बटा हुआ था- उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र तथा दक्षिणी पांचाल की काम्पिल्य थी। चुलानी बहदत्त पांचाल राज्य का महान राजा था।
5. कोशल - इसमें उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला, गोंडा तथा बहराइच क्षेत्र आते थे। इसकी पहली राजधानी अयोध्या तथा दूसरी श्रावस्ती थी। यह राज्य एक चंद्राकर रूप में बसा हुआ था। यहाँ के सबसे लोकप्रिय राजा प्रसेनजित इक्ष्वाकु कुल के थे।
6. सुरसेन - सुरसेन राज्य की राजधानी मथुरा थी। यहां पर अवंतीपुत्र का राज था, जो कि गौतम बुद्ध का एक शिष्य था। जिसके द्वारा मथुरा में बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ। यह महाजनपद ज्ञान बुद्धि तथा वैभव के कारण बहुत लोकप्रिय था।
7. मत्स्य - इस महाजनपद में राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिले के क्षेत्र शामिल थे। इसकी राजधानी विराटनगर थी। इस महाजनपद का संस्थापक विराट था। प्राचीन काल में यहां के लोग बहुत अच्छे और ईमानदार होते थे।
8. अवन्ति - अवन्ति आज की आधुनिक मालवा पर स्थित था। इसको दो भागों में बांटा गया था- उत्तरी अवन्ति तथा दक्षिणी अवन्ति। उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिण की राजधानी माहिष्मती थी। इन दोनों राज्यों के बीच में वेत्रवती नदी बहती थी। इस राज्य में प्राचीन काल में हैहयवंश का शासन था।
9. वत्स - यह आज के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के आसपास स्थित था। भगवान बुद्ध के काल में यहां का राजा उदयन था, जो कि पौरवंशीय था। यह पुरुजन्य हस्तिनापुर छोड़कर यहाँ आए था। इस राज्य की राजधानी कौशांबी थी।
10. चेदि - यह बुंदेलखंड इलाके में बसा हुआ था तथा यमुना नदी के दक्षिण में चंबल और केन गादियों के बीच फैला था। इसकी राजधानी शक्तिमती थी। महाभारत के अनुसार शिशुपाल यहां का राजा था।
11. मल्ल - यह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में पड़ता था। मल्ल दो भागों में बटा हुआ था। इसके उत्तरी भाग की राजधानी कुशीनगर तथा दक्षिणी भाग की राजधानी पावा थी। गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद मल्लों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी। जिसके कारण ये मगध की नीतियों का शिकार हो गए।
12. काशी - इस राज्य की राजधानी वाराणसी थी। जो वरणा और असी नदियों के बीच में बसी थी। शुरुआत से ही यह सबसे शक्तिशाली महाजनपद था। इसने अपना अधिकार कोशल व अंग पर भी जमा रखा था लेकिन बाद में कोशल की शक्ति के आगे इसे झुकना पड़ा। यहां के राजा अश्वसेन थे जिनका बेटा जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ था।
13. वज्जि - यह आठ जनों का संघ था जिसमें प्रमुख लिच्छवि थे। यह उत्तरी बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित था तथा इसकी राजधानी वैशाली थी। उस काल में गंगा नदी वज्जि और मगध के बीच की सीमा को निर्धारित करती थी।
14. अंग - यह आधुनिक बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले में अवस्थित था। इसकी राजधानी चम्पा थी। चम्पा को पुराणों में मालिनी कहा गया है। बौद्ध काल में चम्पा को भारत की छह महानगरों में गिना जाता था। अंग का शासक दधिवाहन था और वो महावीर स्वामी का भक्त था। चम्पा उस काल में भारतीय वर्ष के लोकप्रिय नगरी मे से एक थी। यह राज्य मगध के बहुत पास था, जिसके कारण मगध और अंग बीच हमेशा संघर्ष होता रहता था। अंत में मगध ने इस राज्य को हराकर अपने मे मिला लिया।
15. मगध - यह महाजनपद दक्षिण बिहार में स्थित था। शुरुआत में इसकी राजधानी राजगीर थी और यह चारों ओर से पर्वतों से गिरी थी इसलिए इसे गिरीब्रज के नाम से जाना जाता था। राजगीर के बाद मगध की राजधानी पाटलिपुत्र बनी। इस राज्य की स्थापना बृहद्रथ ने की और बृहद्रथ के बाद जरासंध यहा का राजा बना। उस काल में यह जनपद सबसे शक्तिशाली महाजनपद था। बाद में इस पर हर्यक, नंद, मौर्य आदि ने शासन किया।
16. अश्मक - यह दक्षिण भारत का इकलौता महाजनपद था। यह महाजनपद नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित था। इस राज्य की राजधानी पोतन थी और इस राज्य के राजा इक्ष्वाकुश वंश के थे। अश्मक महाजनपद का लगातार अवन्ति के साथ संघर्ष चलता रहता था, जिसके कारण धीरे-धीरे यह राज्य अवन्ति के अधीन हो गया।
मुख्य बिंदु:-
1. ईसा पूर्व छठी शताब्दी में हल के फाल को लोहे से बनाया जाने लगा जिसके कारण ठोस जमीन को आसानी से जोता जा सकता था।
2. धान की पैदावार में बढ़ोतरी होने से राज्यों के कर में वृद्धि होने लगी जिसके कारण महाजनपदों की शक्ति बढ़ने लगी।
3. महाजनपद काल में मगध सबसे शक्तिशाली राज्य बना जिसने बाद में सबको अपने अधीन कर लिया था।
4. बौद्ध और जैन धर्म का उत्पति भी महाजनपद काल में ही हुई थी।
निष्कर्ष - इस लेख में आपने भारत के प्रसिद्ध 16 महाजनपदों के बारे में पढ़ा। ये महाजनपद प्राचीन काल में बहुत महत्वपूर्ण थे। इसमें सबसे शक्तिशाली महाजनपद मगध था जिसने बाद में सभी जनपदों को अपने अधीन कर लिया। मगध में आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक सम्राट जैसे महान राजाओं ने शासन किया और एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया है।
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2 Comments
Bohot achha laga bro sun kr
ReplyDeleteshukriya bhai share jarur kre
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