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पृथ्वीराज चौहान का इतिहास | Prithviraj Chauhan History in Hindi

 पृथ्वीराज चौहान का इतिहासपृथ्वीराज चौहान भारत के एक महान योद्धा थे। जिन्होंने अजमेर और दिल्ली पर शासन किया। इस लेख द्वारा आप उनकी वीरता के किस्से से परिचित हो सकते हैं और उनके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पृथ्वीराज चौहान का इतिहास


पृथ्वीराज चौहान का इतिहास(History of Prithviraj Chauhan)

पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 ईसवी में गुजरात में हुआ। इनके पिता का नाम सोमेश्वर तथा माता का नाम कर्पूरादेवी था। पृथ्वीराज चौहान के जन्म से उनको मारने के लिए साजिश रचायी गयी। लेकिन वह हर साजिश से बचते चले गए। पृथ्वीराज ने सरस्वती कण्डाभरण पीठ से शिक्षा ग्रहण की। बाल अवस्था में ही वह बहुत साहसी और कई सैन्य कलाओं में माहिर थे। प्रारंभ से ही उन्होंने शब्दभेदी बाण चालाने की कला सीखी। जिससे वो बिना कुछ देखे बाण चला सकते थे। पृथ्वीराज के बचपन के दोस्त का नाम चंदबरदाई था। बचपन से ही चंदबरदाई उनके बहुत अच्छे मित्र थे और उनका एक भाई की तरह ध्यान रखते थे। जब पृथ्वीराज 11 सल के थे तब उनके पिता सोमेश्वर की मृत्यु हो गई। इसके बाद पृथ्वीराज चौहान अजमेर आ गए। वहाँ वह अजमेर के उत्तराधिकारी बने।



पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली प्रशासन


पृथ्वीराज चौहान की माॅं कर्पूरादेवी अपने पिता अंगपाल की इकलौती बेटी थी इसलिए उनके पिता ने दामाद और अजमेर के शासक सोमेश्वर चौहान से पृथ्वीराज को अपने साम्राज्य के उत्तराधिकारी बनने की इच्छा जाहिर की। 1166 में अंगपाल की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के सिंहासन पर बैठे।



पृथ्वीराज चौहान और कन्नोज की राजकुमारी संयोगिता की प्रेमकथा


पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के किस्से हर जगह लोकप्रिय थे। जब राजा जयचंद की बेटी संयोगिता ने उनके किस्से सुने तो उसके दिल में पृथ्वीराज चौहान के लिए प्रेम भावना उत्पन्न हो गई। पृथ्वीराज चौहान ने भी जब राजकुमारी को पहली बार देखा था तभी पसंद कर लिया था। फिर संयोगिता चोरी छुपे पृथ्वीराज चौहान को पत्र भेजने लगी। कुछ समय बाद जब संयोगिता के पिता जयचंद्र को पता चला तो उन्होंने उसका विवाह करने की सोची। जयचंद्र ने अलग-अलग राजाओं को बुलाया। जब संयोगिता का विवाह हो रहा था तब पृथ्वीराज चौहान सभी राजाओं के सामने संयोगिता को उठाकर ले गए और सभी राजाओं को चनौती दी। यह सब देखकर जयचंद को बहुत गुस्सा आया और उसने अपनी सेना पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने के लिए भेजी लेकिन जयचंद की सेना पृथ्वीराज चौहान को पकड़ नहीं पाई।


कुछ सालों बाद 1189 और 1190 ईसवी में पृथ्वीराज चौहान और जयचंद्र के बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ। दोनों सेनाओं में बहुत से सैनिक मरे।


मोहम्मद गोरी का आक्रमण

मोहम्मद गोरी का आक्रमण


जब पृथ्वीराज चौहान बच्चा था तब मोहम्मद गोरी ने 1175 में सिंधु नदी को पार करके मुल्तान पर कब्जा कर लिया 1178 ईसा पूर्व में मोहम्मद गोरी ने गुजरात पर हमला किया पर चालक्यो ने कसरावद के युद्ध में गोरी को हरा दिया। जिसे चौहानों को गौरी के हमलों का सामना नहीं करना पड़ा। बाद में मोहम्मद गोरी ने पंजाब पर हमला कर उसे कब्जे में ले लिया।

पृथ्वीराज और गोरी का पहला युध्द

पृथ्वीराज चौहान की सेना बहुत विशाल थी। उनकी सेना में 3 लाख सैनिक और 300 हाथी थे। जिसके कारण उसने कई युद्धों को जीता और अपनी सेना को बढ़ाया। पृथ्वीराज चौहान ने कई राज्यों पर विजय पर भी विजय पा ली थी। अब पृथ्वीराज चौहान पंजाब पर शासन करना चाहते थे लेकिन उस समय पंजाब पर मोहम्मद गौरी का शासन था। पृथ्वीराज चौहान ने अपनी विशाल सेना को संगठित किया और पंजाब पर हमला कर दिया। उन्होंने सबसे पहले हांसी, सरस्वती और सरहिंद पर अपना कब्जा कर लिया। लेकिन युद्ध के बीच पृथ्वीराज चौहान को अनहिलवाड़ा मे विद्रोह के कारण जाना पड़ा। पृथ्वीराज चौहान की जाते ही उनकी सेना ने अपनी कमांड खो दी। लेकिन जब पृथ्वीराज चौहान अनहिलवाड़ा से वापस लौटे तो उन्होंने युद्ध में दुश्मनों के जमकर मारा। इस युद्ध में मोहम्मद गोरी भी बहुत घायल हो गया था। गोरी को सैनिक द्वारा घोड़ो पर बैठाकर वहां से ले जाया गया और उसका इलाज कराया गया। पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध मे 7 करोड़ की संपत्ति प्राप्त की जिसको उसने अपने सैनिकों के बीच बांट दिया। इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के युद्ध में अपनी वीरता को साबित किया।


पृथ्वीराज चौहान और गौरी का दूसरा युध्द


संयोगिता के पिता को जब यह बात पता चली कि मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज का युद्ध चल रहा है तो उन्होंने मोहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया और दोनों ने पृथ्वीराज चौहान को जान से मारने की साजिश रची। इसके बाद सन 1192 में दोनों ने मिलकर पृथ्वीराज चौहान पर हमला बोल दिया। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान अकेले पड़ गए उन्हें दूसरों से मदद मांगी पर किसी राजा ने उनकी मदद नही की। उसके बाद जयचंद ने चालाकी से अपने सैनिक पृथ्वीराज चौहान को दे दिए पर पृथ्वीराज चौहान इस चलाकी को समझ नहीं पाया और जयंचद के सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान के सैनिकों को मार दिया। उसके बाद मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई को पकड़ लिया और वह उन दोनों को अफगानिस्तान ले गया। राजा जयचंद को भी उसकी बेईमाने के चलते मार दिया गया।


पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु


मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने के बाद बहुत मारा और उसकी आंखों को लोहे के गर्म सरियों द्वारा जला दिया गया। उसके बाद पृथ्वीराज चौहान से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई। तो उन्होंने अपने मित्र चंदबरदाई के द्वारा शब्दभेदी बाण चलाने की प्रस्ताव रखा।‌ चंदबरदाई ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण चलाने की खूबी बताई। गोरी ने बात सुनकरे पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण चलाने की अनुमति दे दी। उसी समय पृथ्वीराज चौहान ने चंदबरदाई की सहायता से भरी सभा में गोरी को मार डाला। इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई ने खुदको भी भार डाला। जब संयोगिता तक यह बात पता चली तो उसने भी खुद को मार दिया।


निष्कर्ष - पृथ्वीराज चौहान के मरने के बाद भारत मे इनके जैसा कोई भी वीर येद्धा पैदा नहीं हुआ। उन्होंने मोहम्मद गोरी से डटकर युद्ध किया और अपनी वीरता को साबित किया। परंतु जयचंद की गद्दारी के कारण उन्हें हराना पड़ा।


इस लेख में आपने पृथ्वीराज चौहान के इतिहास के बारे में सरल भाषा में पढ़ा अगर आपको यह लेख थोड़ा-सा भी पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करने का कष्ट करें।🙏

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2 Comments

  1. Thanks for sharing so much valuable information about the legendary Prithviraj Chauhan.
    Please publish more blogs related to indian history..

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  2. Thank you Harsh and I will definitely publish the article about great kings of India.

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