अकबर का इतिहास - इस लेख में आप जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर के बारे में पड़ेंगे। अकबर ने अपने काल में अपने साम्राज्य का विस्तार किया ओर उसे दूर तक फैलाया। जिससे वो एक महान राजा बना।इस लेख के द्वारा आप अकबर के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अकबर का इतिहास:-
पूरा नाम - जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म - 15 अक्टूबर सन् 1542
जन्म भूमि - अमरकोट, सिंध (पाकिस्तान)
पिता - नसरुद्दीन हुमांयू
माता - मरियम मक़ानी
संतान - जहाँगीर के अलावा 5 पुत्र 7 बेटियाँ
पत्नियां - जोधाबाई के अलावा 6 और
शासन काल - 24 फरवरी, 1556 - 27 अक्टूबर, 1605 ईस्वी
युद्ध - पानीपत, हल्दीघाटी
राजधानी - फ़तेहपुर सीकरी आगरा, दिल्ली
राजघराना - मुग़ल
मक़बरा - सिकन्दरा, आगरा
मृत्यु तिथि - 27 अक्टूबर, सन् 1605 (उम्र 63 वर्ष)
मृत्यु स्थान - फ़तेहपुर सीकरी, आगरा
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के राजपूत किले, अमरकोट में हुआ। अकबर नसरुद्दीन हुमांयू का बेटा और जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर का पोता था। अकबर की माता का नाम मरियम मकानी था। अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर महान के नाम से भी जाना जाता है। जब अकबर बच्चा था तो उसका पालन-पोषण उसके चाचा और चाची ने किया बचपन में अकबर की पढ़ाई लिखाई में बहुत कम रुचि थी। वह अपनी युवावस्था में शिकार करना, घुड़सवारी और सैनी कलाएं सिखाता था। बचपन में ही अकबर ने अपने पिता को खो दिया था। उसके पिता हुमांयू की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
अकबर का राजतिलक:-
24 फरवरी 1556 को अकबर का राजतिलक हुआ और वह सिंहासन पर बैठा। उस समय वह केवल 13 वर्ष का था। अकबर की वयस्क होने तक उसका राज्य बैरम खां के संरक्षण में चला। उस समय मुगल राज्य केवल काबुल से दिल्ली तक फैला था।
अकबर का सिकंदर शाह सूरी के साथ युद्ध:-
अकबर अपने शासनकाल में समझ गया था कि जब तक वह सूरी वंश को समाप्त नहीं करेगा वह शांति से शासन नहीं कर पाएगा। अकबर ने शेर शाह सूरी के पुत्र सिकंदर शाह सूरी को खत्म करने का फैसला लिया। उसने दिल्ली का शासन मुगल सेनापति तारदी बैग के हवाले सौंप दिया और सिकंदर शाह से युद्ध करने निकल पड़ा।
पानीपत का युद्ध:-
जब अकबर सिकंदर शाह सूरी के साथ युद्ध करने में व्यस्त था। उस समय हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली और आगरा पर आक्रमण करके उस पर विजय प्राप्त कर ली। इस हमले में तारदी बैग खान शहर छोड़ कर भाग गया। जिसके कारण दिल्ली में दोबारा हिंदु राज्य की स्थापना हुई। जब अकबर को ये खबर मिली तो वो तुरंत दिल्ली की ओर आगे बढ़ा। उसके बाद अकबर और हेमू के बीच पानीपत का युद्ध। इस युद्ध को पानीपत का द्वितीय युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। कम सैनिक होने के बावजूद भी अकबर इस युद्ध में जीत गया। इस जीत में अकबर को 1500 हाथी मिलें। इसके बाद अकबर का सिकंदर शाह सूरी के साथ मनकोट में युद्ध हुआ जिसमें यह 15 हाथी काम आए। इस युद्ध में सिकंदरा सूरी ने आत्मसमर्पण कर दिया।
अकबर का शासन काल:-
1560 ईस्वी मे अकबर ने खुद सत्ता को संभाला और अपने संरक्षक बैरम खां को निकाल दिया। अकबर ने सन् 1562 ईस्वी में आमेर के राजा से समझौता किया जिसके कारण राजपूत राजा भी उसके साथ आ गए।
दिल्ली पर अधिकार जमाने के बाद अकबर ने अपने राज्य का विस्तार शुरू किया। अकबर ने मालवा, गुजरात, बंगाल, काबुल, कश्मीर, खानदेश पर अधिकार जमा लिया। उसने इन राज्यों में एक राज्यपाल नियुक्त किया। अकबर ने शुरुआत में फतेहपुर सीकरी को मुगल की राजधानी बनाया लेकिन पानी की कमी कारण अकबर को राजधानी फतेहपुर सिकरी से हटाने पड़ी, फिर अकबर ने एक चलित दरबार बनाया जो साम्राज्य के चारों तरफ घूमता रहता था। इस प्रकार साम्राज्य की सभी जगहों पर ध्यान देना संभव हुआ। बाद में सन् 1585 में अकबर ने लाहौर को राजधानी बनाया। मृत्यु से पहले अकबर ने 1599 में आगरा को वापस राजधानी बनाया और आखिर तक यही शासन किया।
बुलंद दरवाजा का निर्माण:-
सन 1572 में अकबर ने गुजरात की राजधानी अहमदाबाद पर अपना कब्जा किया। गुजरात पर कब्जा करने के बाद वह फतेहपुर सीकरी वापस गया और अपनी जीत के उपलक्ष में बुलंद दरवाजा बनवाया। इसके अलावा अकबर ने 1593 में डेक्कन की सुल्तानों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया। अकबर ने बुहरानपुर के असीरगढ़ किले पर भी अपना अधिकार जमा लिया।
अकबर का महाराणा प्रताप के साथ युद्ध:-
अकबर मेवाड़ पर अपना अधिकार जमाना चाहता था इसलिए 18 जून 1576 इस्वी में मुगलों और मेवाड़ो के बीच बहुत भयंकर युद्ध हुआ। यह युद्ध राजस्थान के गोमुंदा के पास हल्दीघाटी में हुआ। इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सेना का नेतृत्व किया और मुगलों की सेना का नेतृत्व राजा मानसिंह ने किया।
हल्दीघाटी का युद्ध बहुत दिनों तक चला। इस युद्ध में 80 हज़ार मुगलों की सेना थी जिनका सामना 22 हज़ार सैनिकों ने किया आखिर में अन्न की कमी के कारण महाराणा प्रताप युद्ध हार गए।
अकबर का जोधाबाई के साथ विवाह:-
6 फरवरी 1592 को अकबर की शादी आमेर के राजा भारमल की बेटी जोधाबाई से हुई। शादी के बाद जोधाबाई मुस्लिम बनी और मरियम उज़-ज़मानी कहलाई। विवाह के बाद राजपूत परिवार ने उसे सदा के लिए त्याग दिया और वह कभी आमेर नहीं गई। भारमल को अकबर के दरबार में एक ऊंचे स्थान पर बैठाया गया। उसके बाद उनके बेटे भगवंत दास और पोते मानसिंह भी दरबार के ऊंचे समांत बने। अकबर और जोधा का एक पुत्र हुआ जिसका नाम जहांगीर था।
अकबर की पत्नियां:-
अकबर की सात पत्नियां थी। यह सात पत्नियां बहुत खास थी और इनका अकबर के जीवन में बहुत बड़ा महत्व था। अकबर के साथ पत्नी निम्नलिखित हैं:-
1. रुकय्या सुल्तान(Rukaiya sultan begum)
2. सलीमा सुल्तान(Salima sultan begum)
3. जोधा बाई(jodha Bai)
4. बीबी दौलत शाद(Bibi Daulat shad)
5. क़सीमा बानु(Qasima banu begum)
6. भक्करी बेगम(Bhakkari begum)
7. गौहर उन निस्सा(Gauhar un Nissa begum)
अकबर के नवरत्न:-
अकबर पढ़ना लिखना नहीं जानता था फिर भी वह कलाकारों और बुद्धिजीवी से विशेष प्रेम करता था। इसी प्रेम की वजह से उसके दरबार में नौ बहुत गुणवान दरबारी थे जिन्हें अकबर के नवरत्न के नाम से जाना जाता है।
अकबर के नवरत्न निम्नलिखित है:-
अबुल फजल - अबुल फजल ने अकबर के काल को कामबद्ध किया इसके अलावा उन्होंने अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी की रचना की।
तानसेन - अकबर के दरबार में बहुत प्रसिद्ध कवि था। तानसेन ने ही मल्हार राग की खोज की थी।
फैजी - फैजी अबुल फजल का भाई था जो कि फारसी में कविताएं लिखता था। इसके अलावा यह अकबर के बेटे के गणित के शिक्षक भी था।
बीरबल - बीरबल अकबर के सलाहकार थे। यह बहुत बुद्धिमान थे। इसके अलावा यह एक महान कवि भी थे।
टोडरमल - राजा टोडरमल अकबर के वित्तीय मंत्री थे, इन्होंने विश्व में सर्वप्रथम मानव प्रणाली की खोज की थी।
मानसिंह - यह आमेर के कछवाहा राजपूत राजा थे। ये जोधा बेगम के भाई थे और अकबर की सेना के प्रधान सेनापति।
अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना - यह अकबर के संरक्षक बैरम खान के बेटे थे और एक प्रसिद्ध कवि भी थे।
फ़क़ीर अजियोद्दीन - यह अकबर के प्रमुख सलाहकार में से एक थे।
मुल्लाह-दो-पियाजा - ये भी अकबर के सलाहकार थे।
अकबर की मृत्यु:-
63 साल की उम्र में अकबर को पेचिश हो गया था, जिसके कारण वह तीन हफ्ते तक बीमार रहा और आखिर में 27 अक्टूबर 1605 को अकबर की पेचिश के कारण मृत्यु हो गई। मरने से पहले अकबर ने अपना साम्राज्य बंगाल की खाड़ी तक फैला दिया था।
निष्कर्ष - इस लेख मैं आपने अकबर के जीवन परिचय के बारे में पढ़ा। अकबर का शासन काल बहुत कम रहा और उसका 63 साल की उम्र में ही देहांत हो गया। फिर भी अपने शासनकाल में वो एक महान राजा के रूप में उभरा।
इस लेख को पढ़ने के बाद आप क्या सोचते हैं हमें जरूर बताइए और अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।
4 Comments
Bro do teen galtiya h pr achha laga haar raja ko mahan uska kaam or kartavy banata hai
ReplyDeleteShukriya bhai and please share
DeleteBHAI AKABR KI MAUT BIMARI SE NHI PRITHVI RAJ CHOUHAN KE TIR SE HUI THI.
ReplyDeleteBatane ke liye shukriya par bhai akbar ki maut bimari se he hue thi
Delete